असफल छात्रों के नाम एक पत्र
कल निखिल गुप्ता जी का एक पोस्ट पढ़ा जिसमे वो
किसी बच्चे के हतास होने पे उसे समझाने की कोसिस कर रहे थे.
बात की सुरुआत मोटी-मोटी बात से करना चाहूँगा. SSC CGL की इस परीछा में लगभग 15 लाख बच्चों में केवल 1.25 लाख बच्चों को पहले
चरण में सफलता मिलती है. अब जो भाई बहन सफल हो गए हैं उन्हें बधाई, पर उनका क्या
जो पहले चरण में ही असफल हो गए. मन में दुख का बोझ होगा सायद लगता होगा जिस युद्ध
के लिए ध्वज उठाया, तिलक लगाया, कवच चढ़ाया, जोशों खरोस से रन भूमि में गए और हुआ?
क्या तिलक मिट गया, ध्वज छूट गया, कवच को भेद दिया.
आदरणीय अटल बिहारी बाजपाई में कहा था- हम जीतें हैं हम में विन्मर्ता है.
पराजय में तो आत्म-मंथन होना
चाहिए.
समय भी निरंतरता के प्रण निभाते हुए निरविकार
भाव आपको यही संकेत दे रही है. अगर आप सफल हैं तो विनम्रता से अगले चरण की तैयारी
करें, अगर आप असफल हैं तो आत्म चिंतन करें, अपनी कमियों को खोजें उस पर कार्य
करें. ध्वज फिर उठायें, तिलक फिर लगायें, कवच फिर चढ़ाएं. रन भूमि फिर सजेगी. बिगुल
फिर बजेगा योद्दा फिर आयेंगे. आपको अपने शोर्य का परिचय देने का अवसर फिर मिलेगा.
बात जब असफलता की है तो एक और दृश्य का चित्रण करता हु. क्या होगा जब कभी सफलता नही मिली, तो क्या जीवन का बस यही मार्ग था जो बंद हो गया.
जब आप छाती चौड़ी और सर ऊपर कर के परिस्थिति का
सामना करेंगे तो जीवन खुद ही नए मार्ग खोल देगी.
ऐसे बहुत उदाहरन हैं, जहाँ लोग सरकारी पद पे जा
के भी नाखुस हैं. और बहुत लोग बिना किसी नौकरी के भी जीवन को आनंद से जीते हैं.
आपसे (SSC, IBPS, BPSC, UPSC) का अस्तित्वा है. आपका अस्तित्वा इन
परिछओं से नही.
योद्धा की तरह सोचें. योद्धा की तरह जियें.
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असफल छात्रों के मनोबल को पुनः उत्साहित करने हेतु सराहनीय लेखन।
ReplyDeleteसधन्यवाद 🙏🙏